LHB का पूरा नाम और इतिहास
भारतीय रेल में आपने दो तरह के कोच देखे होंगे - नीले और लाल। इनमें से लाल रंग के कोचों को LHB कोच कहा जाता है। ये कोच अपनी आधुनिक तकनीक और सुरक्षा सुविधाओं के लिए जाने जाते हैं।LHB का पूरा नाम Linke Hofmann Busch है। ये जर्मनी की एक कंपनी का नाम है जिसने इन कोचों को डिजाइन किया था। भारत में इन कोचों का निर्माण कपूरथला कोच फैक्ट्री में किया जाता है।
LHB कोच की खासियतें
सुरक्षा: LHB कोचों में एंटी-टेलिस्कोपिक डिजाइन होता है, जिसका मतलब है कि टक्कर होने पर ये कोच एक-दूसरे के अंदर नहीं घुसते हैं। इससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।आरामदायक यात्रा: इन कोचों में हाइड्रोलिक सस्पेंशन सिस्टम होता है, जिससे यात्रा काफी आरामदायक होती है।
हल्का वजन: LHB कोच ICF कोच की तुलना में हल्के होते हैं, जिससे ट्रेन की गति और क्षमता बढ़ जाती है।
आधुनिक सुविधाएं: इन कोचों में आधुनिक सुविधाएं जैसे कि बायो-टॉयलेट, बेहतर वेंटिलेशन और इमरजेंसी विंडो आदि होती हैं।
तेज रफ्तार: LHB कोच अधिक गति से चल सकते हैं और ये ICF कोच की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं।
वैष्णव ने सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में भी बताया
सुरक्षा प्रोटोकॉल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि कपलिंग, अनकपलिंग और शंटिंग गतिविधियों के दौरान किसी भी दुर्घटना या कर्मचारियों को चोट से बचने के लिए स्पष्ट हैंड सिग्नलिंग प्रक्रियाएं मौजूद हैं। पूर्व मध्य रेलवे में हाल ही में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना रेलवे कर्मचारियों के बीच गलतफहमी के कारण हुई थी। यह कपलिंग/अनकपलिंग आवश्यकताओं के चलते नहीं थी। इसके अलावा, नियमित रूप से सुरक्षा अभियान चलाए जाते हैं। इसमें काम के दौरान सावधान रहने के लिए कर्मचारियों की काउंसलिंग भी शामिल है।रेलवे लगातार सुरक्षा में सुधार के लिए काम कर रहा है। पुराने डिब्बों को नए LHB डिब्बों से बदला जा रहा है। इन नए डिब्बों में ऑटोमेटिक कपलिंग होती है। इससे मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत कम होती है। दुर्घटनाओं का खतरा भी कम होता है। कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है। सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। रेलवे का लक्ष्य यात्रियों और कर्मचारियों दोनों के लिए रेल यात्रा को सुरक्षित बनाना है।