आरजी कर हॉस्पिटल में करप्शन मामले में CBI की चार्जशीट कोर्ट ने शुक्रवार को नामंजूर कर दी। राज्य सरकार के किसी कर्मचारी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने के लिए जरूरी मंजूरी उपलब्ध न होने की वजह से CBI की विशेष अदालत चार्जशीट स्वीकार नहीं की। जांच एजेंसी ने मामले में पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष को मुख्य आरोपी बनाया है।
एक अधिकारी ने बताया कि 100 पन्नों की चार्जशीट में अन्य चार गिरफ्तार आरोपियों - बिप्लब सिंह, अफसर अली, सुमन हाजरा और आशीष पांडे के नाम भी शामिल हैं। CBI ने जांच से जुड़े करीब एक हजार पन्नों के दस्तावेज भी जमा किए हैं।
चर्चा में रहे कोलकाता रेप-मर्डर केस के दौरान मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष पर वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप लगे थे। उन पर आरोप था कि अस्पताल के लिए मेडिकल इक्विपमेंट खरीदने के टेंडर में में हेराफेरी की है। साथ ही अपने करीबियों को इसके टेंडर दिलाने में मदद की।
हाईकोर्ट ने 23 अगस्त, 2024 को मामले की जांच राज्य सरकार की गठित SIT से लेकर CBI को सौंप दी थी। कोर्ट ने यह आदेश अस्पताल के पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ अख्तर अली की याचिका पर दिया था।
अली ने अस्पताल में हुए भ्रष्टाचार मामलों की ED जांच कराने के लिए याचिका दायर की थी। याचिका में अली ने घोष पर लावारिस शवों की अवैध बिक्री, बायोमेडिकल कचरे की तस्करी के अलावा दवा और मेडिकल इक्विपमेंट सप्लाई के टेंडर पास करने के लिए कमीशन लेने के आरोप लगाए थे।
CBI ने घोष को 16 अगस्त को हिरासत में लिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बाद 24 अगस्त को घोष के खिलाफ वित्तीय गड़बड़ी का मामला दर्ज किया था।
CBI जांच में वित्तीय गड़बड़ी से जुड़े खुलासे...
संदीप घोष ने मेडिकल हाउस स्टाफ की नियुक्ति के लिए एक इंटरव्यू सिस्टम शुरू किया। हालांकि, अस्पताल में इंटरव्यू लेने वालों का कोई पैनल नहीं था। नियुक्ति से पहले इंटरव्यू के फाइनल मार्क्स जारी किए जाते थे। घोष पर कई योग्य ट्रेनी डॉक्टरों को नियुक्त न करने का भी आरोप है।
घोष 2016 से 2018 के बीच मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज में पोस्टेड था। वह तब से बिप्लव और सुमन को जानता था। घोष अपने सिक्योरिटी गार्ड, बिप्लव और सुमन के साथ भ्रष्टाचार का नेटवर्क चलाता था।
घोष ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में प्रिंसिपल बनने के बाद बिप्लव और सुमन को कोलकाता बुला लिया। उसने दोनों वेंडर्स को अस्पताल के कई टेंडर दिलवाए। घोष का गार्ड अस्पताल के बायोमेडिकल कचरे को बेचने के लिए भी वेंडर्स से कॉन्ट्रैक्ट करता था।
बिप्लब मां तारा ट्रेडर्स, बाबा लोकनाथ, तियाशा एंटरप्राइजेज समेत कई कंपनियां चलाता था। वह इन सभी कंपनियों के नाम पर अस्पताल में टेंडर्स के लिए अप्लाई करता था। ताकि टेंडर के लिए मार्केट में कॉम्पिटिशन दिखे। इसी में किसी एक कंपनी को टेंडर मिलता था।
CBI को बिप्लब की कंपनियों को टेंडर दिए जाने के तरीके में भी कई खामियां मिली हैं। CBI ने कहा कि वर्क ऑर्डर के लेटर कॉलेज के कई अधिकारियों को लिखे जाते थे, लेकिन उन्हें ये लेटर कभी सौंपे ही नहीं गए। इसका मतलब टेंडर प्रोसेस में अन्य अधिकारियों को शामिल नहीं किया गया।
एजेंसी के मुताबिक, घोष के गार्ड की पत्नी नरगिस की कंपनी ईशान कैफे को अस्पताल में कैंटीन का ठेका मिला। संदीप घोष ने गार्ड की पत्नी की कंपनी को नॉन-रिफंडेबल कॉशन मनी भी लौटा दी।