मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में दो जनजातियों के बीच हुए विवाद की वजह से बुधवार को 17 अप्रैल तक कर्फ्यू लगाया गया। जोमी और हमार जनजाति के बीच मंगलवार को विवादित जगह पर अपने-अपने समुदाय के झंडे फहराने को लेकर तनाव पैदा हो गया था। यह विवादित जगह वी मुनहोइह और रेंगकाई गांवों के बीच है।
वी मुनहोइह और रेंगकाई के साथ ही कांगवाई, समुलामलान और संगाइकोट में भी कर्फ्यू लगाया गया है। हालांकि, इन इलाकों में सुबह 6 बजे से 5 बजे शाम तक कर्फ्यू में छूट दी गई है।
बुधवार को कलेक्टर ने दोनों गांवों के लोगों की बैठक ली। इस दौरान दोनों समुदायों ने कहा कि यह विवाद जातीय नहीं जमीन का है। बैठक में लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहें न फैलाने की अपील की गई।
इससे पहले दोनों जनजातियों के बीच 18 मार्च को झंडा हटाने को लेकर हिंसा हुई थी। इस हिंसा में हमार जनजाति के रोपुई पाकुमटे नामक व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए थे।
दो जनजातियों के बीच कैसे शुरू हुआ था विवाद...
16 मार्च: रविवार देर शाम हमार जनजाति के नेता रिचर्ड हमार पर अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया था। रिचर्ड अपनी गाड़ी चला रहे थे, जो एक दोपहिया सवार से टकराने से बची। इससे रिचर्ड की दोपहिया वाहन सवार युवकों से कहासुनी हो गई। जो बाद में इतनी आगे बढ़ गई कि दूसरे पक्ष ने रिचर्ड पर हमला कर दिया।
17 मार्च: इलाके में तनाव बढ़ने के बाद हमार जनजाति के लोगो ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करना शुरू कर दिया। स्थिति को संभालने के लिए सुरक्षाबलों ने उपद्रवियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े और हवाई फायरिंग की। इसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगा दिया।
शाह ने कहा था- बीते चार महीनों से मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 3-4 अप्रैल को लोकसभा में कहा था कि दिसंबर से मार्च तक बीते चार महीनों से मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है। राहत कैंपों में खाने-पीने, दवाइयों और मेडिकल सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
अमित शाह ने कहा- हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद मणिपुर में दो समुदायों के बीच आरक्षण संबंधी विवाद के कारण जातीय हिंसा शुरू हुई। ये न तो दंगे हैं और न ही आतंकवाद। उन्होंने बताया था कि इस हिंसा में 260 लोगों की मौत हुई। इनमें से 80% मौतें पहले महीने में, जबकि बाकी मौतें बाद के महीनों में हुईं।