प्रदेश में अब पहली से 12वीं क्लास तक पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के लिए एक यूनिक आईडी बनाई जाएगी। इस आईडी को शुरुआती दौर में बच्चों के गार्जियंस की सहमति से तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
हालांकि केंद्र सरकार की इस योजना को राज्य सरकार अगले शिक्षा सत्र से अनिवार्य करने की तैयारी में है। प्रदेश में करीब सवा लाख सरकारी और निजी स्कूल हैं, जिनमें पढ़ने वाले 1.42 करोड़ बच्चों की आईडी तैयार करने पर अब स्कूल शिक्षा विभाग ने फोकस किया है।
इस आईडी को बनाने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र और लोक शिक्षण आयुक्त कार्यालय ने सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। वन नेशन वन स्टूडेंट पॉलिसी के तहत यह आईडी बनाने का काम किया जाएगा।
राज्य शिक्षा केंद्र के माध्यम से आईडी बनवाने का काम कक्षा 1 से कक्षा 8 तक अध्ययनरत सभी शासकीय और अशासकीय विद्यालयों में कराया जाएगा। वहीं, कक्षा 9 से 12वीं क्लास तक के स्टूडेंट्स के मामले में यह काम लोक शिक्षण आयुक्त कार्यालय द्वारा किया जाएगा।
सीबीएसई स्कूलों के बच्चे भी होंगे शामिल
इस अभियान में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के माध्यम से संचालित विद्यालयों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को भी शामिल किया गया है। प्रदेश में सीबीएसई स्कूलों की संख्या 1400 है और इन स्कूलों में सवा दो से ढाई लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की भी अपार आईडी बनाई जाएगी। यह काम अगले शिक्षा सत्र से पहले पूरा कर लिया जाएगा।
ऐसे होगा आईडी तैयार करने का काम
प्रदेश भर में 9 और 10 दिसंबर को विद्यार्थियों की अपार आईडी बनाने के लिए विशेष अभियान चलेगा।
प्रभारी शिक्षकों को स्कूल के यूजर आईडी से एसडीएमएस पोर्टल में लॉगिन करके स्टूडेंट प्रोफाइल में जाकर इसे बनाने की सुविधा दी गई है।
अपार मॉड्यूल से सभी स्टूडेंट्स की अपार आईडी जनरेट की जा सकेगी।
अपार आईडी जनरेट करने से पहले जिलों में विद्यार्थियों के अभिभावकों के साथ पैरेंट्स-टीचर मीटिंग करके इसकी जानकारी देने को कहा गया है।
गार्जियंस की सहमति मिलने के बाद स्टूडेंट्स की आईडी बनाई जाएगी।